रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) के बारे में शायद आप लोगों ने सुना ही होगा। अब यह मंदिर (Ratneshwar Temple) Incredible India का नया पोस्टर बन चुका है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) की ख़ासियत ही इसे सभी मंदिरों से अलग बनाती है। यह मंदिर पीसा की झुकी हुई मीनार से भी ज़्यादा झुका हुआ है। इस मंदिर को दुनिया का आठवाँ अजूबा कहना कोई ग़लत बात नही होगी।

हाल ही में भारत सरकार के पर्यटन विभाग ने देश में पर्यटन को प्रमोट करने के लिए रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) की फ़ोटो का इस्तेमाल अपने Incredible India Mission में किया है।
जब से सरकार ने रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) को Incredible India के पोस्टर के रूप में इस्तेमाल किया है, तभी से यह मंदिर देश-दुनिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
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रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Temple)
19वीं शताब्दी से पहले वाराणसी के गंगा घाट पर निर्मित रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Temple) एक सबसे चमत्कारी मंदिर है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर का 9 डिग्री पर झुका होना, आज के समय में यह वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बन चुका है।
यह मंदिर भारतीय कारीगरों की कल्पना का एक अद्भुत नमूना है। जिसे देखने के लिए क़िस्मत होनी चाहिए। क्योंकि यह मंदिर साल के 6 महीने पानी में ही डूबा रहता है।

रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) की मज़बूती और महानता का पता इस बात से ही चलता है की यह 6 महीने पानी में डूबे रहने के बाद अपनी पहचान बरक़रार रखता है।
कुछ साल पहले इस मंदिर के ऊपर आकाशीय बिजली गिरी थी, इसके बावजूद इस मंदिर को कोई नुक़सान नही हुआ था। इस मंदिर में एक विशाल केंद्रीय हॉल भी है। जो लोगों के मंदिर में प्रवेश के बाद बैठने और भजन-कीर्तन के लिए बनाया गया था।
कुछ जानकारी
वाराणसी के गंगा घाट पर स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की ख़ास विशेषता है की यह सीधा ना होकर 9 डिग्री झुका हुआ है।
आपको बता दें की इस मंदिर का झुकाव पीसा के लीनिंग टॉवर से अधिक कोण पर है। इसी वजह से आज इसको दुनिया का आठवाँ अजूबा कहा जाने लगा है।
वैसे तो वाराणसी के गंगा घाट जाने वाले पर्यटकों के लिए रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) आकर्षण का केंद्र होता है। फिर भी सरकार की नाकामी की वजह से इस मंदिर को देश-दुनिया में कोई नही जानता था।
निर्माण
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी रत्नाबाई ने शिव मंदिर के रूप में करवाई थी। लेकिन मंदिर दोष-पूर्ण होने की वजह से इस मंदिर में पूजा-अर्चना नही होती है।
मंदिर का नामकरण
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) का नाम रानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी रत्नाबाई के नाम पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर रखा गया है। रानी अहिल्याबाई होल्कर भी इस मंदिर का वैभव देखकर अचंभित हो गई थी।
मंदिर से जुड़ी हैं कई प्राचीन कथाएँ
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) के निर्माण के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। एक प्राचीन कहानी के अनुसार जब
रानी अहिल्याबाई होल्कर वाराणसी शहर में कुंडों और मंदिरों का निर्मन करवा रही थी, उसी समय रानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी रत्नाबाई ने एक शिव मंदिर का निर्माण करवाने की इच्छा जताई। इसके बाद रानी अहिल्याबाई होल्कर ने उसे मंदिर निर्माण की इजाज़त दे दी थी।
रत्नाबाई ने मणिकर्णिका कुंड के पास इस शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Temple) के निर्माण के लिए रत्नाबाई ने रानी अहिल्याबाई से काफी उधार लिया था।
जब इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ तो रानी अहिल्याबाई इसका बनावट और वैभव देखकर अत्यंत प्रसन्न हुईं। इसके बाद रानी अहिल्याबाई ने अपनी दासी रत्नाबाई से कहा कि वह इस मंदिर को अपना नाम ना दे। लेकिन दासी रत्नाबाई ने उनकी बात नही मानी और मंदिर का नाम अपने नाम पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर करवा दिया।
जब इस बात की जानकारी रानी अहिल्याबाई को हुई तो वो क्रोधित हो गई और श्राप दे दिया की भले ही मंदिर बन गया है, लेकिन इसमें पूजा-पाठ नही होगी।
रानी अहिल्याबाई के श्राप के कारण ही कुछ समय बाद रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) 9 डिग्री तक झुक गया और दोष-पूर्ण होने की वजह से इस मंदिर में पूजा-अर्चना बंद हो गई।
पीसा के मीनार से रत्नेश्वर महादेव मंदिर की तुलना
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Temple) 9 डिग्री झुका हुआ है। यानी इसका झुकाव पीसा के लीनिंग टॉवर से अधिक कोण पर है। इसी वजह से पुरातत्ववेत्ता भी इसे पीसा के मीनार से बेहतर निर्माण बता रहे हैं। मंदिर के झुके होने और ऐतिहासिक महत्व की वजह से इस मंदिर को पीसा मीनार से बेहतर निर्माण बताया जाता है।
सिंधिया घाट की पहचान है – रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Temple)
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) आज के समय में वाराणसी में गंगा के किनारे बने सिंधिया घाट की पहचान बन चुका है। इस मंदिर को शिल्पकारी और बनावट की वजह से आज यह मंदिर सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होता है।
कुछ साल पहले इसके ऊपर आकाशीय बिजली गिरी थी, लेकिन इस मंदिर को कोई नुक़सान नही पहुँचा था। इसकी एक ख़ास बात और भी है, कि यह 6 महीने तक पानी में डूबा रहता है।
बरसात के मौसम में इसका सिर्फ़ शिखर ही नजर आता है। इसका अनोखा डिजाइन सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होता है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Temple) मंदिर को काशी कर्णावत मंदिर भी कहा जाता है। यानी इसका दूसरा नाम काशी कर्णावत मंदिर है। इस मंदिर में नगाड़ा शिखर और मंडप भी हैं। अनोखे वास्तुकला और डिज़ाइन की वजह से आज इस मंदिर का अपना विशेष महत्व है। यह मंदिर कल्पना के क्यूरेटर द्वारा बनाया गया एक चमत्कार है।
Ratneshwar Mahadev Mandir Ratneshwar Mahadev Temple Ratneshwar Mahadev, Varanasi
रत्नेश्वर महादेव मंदिर के रोचक तथ्य – Interesting Facts About Ratneshwar Temple in Hindi
यह मंदिर अपने आप में एक अजूबा है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple Interesting Facts) के कई रोचक तथ्य हैं, जीनके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
- इसका निर्माण 19वीं शताब्दी से पहले करवाया गया था।
- इसका निर्माण रानी रानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी रत्नाबाई ने करवाया था।
- इसका नामकरण रानी अहिल्याबाई की दासी रत्नाबाई के नाम पर किया गया है।
- यह साल के 6 महीने तक पानी के अंदर डूबा रहता है।
- यह गंगा के किनारे वाराणसी घाट में स्थित है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य – Amazing Facts About Ratneshwar Temple
नीचे हमने Ratneshwar Mahadev Temple Amazing Facts के बारे में पूरी जानकारी दी है :
- यह आज सिंधिया घाट की पहचान बन चुका है।
- वाराणसी जाने वाले सभी सैलानी रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) को देखने जाते हैं और इसकी फ़ोटो खींचते हैं।
- यह भारत देश और दुनिया का एकलौता मंदिर है, जो 9 डिग्री पर झुका हुआ है।
- यह मंदिर पीसा के लीनिंग टॉवर के बाद दुनिया की दूसरी बिल्डिंग है, जो झुकी हुई है।
- इसका झुकाव पीसा के लीनिंग टॉवर से अधिक यानी 9 डिग्री पर है।
- रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev Temple) पूरी तरह से पत्थरों से निर्मित मंदिर है।